रचनात्मक चिंतन की दिशा सदैव कल्याणकारी एवं शुभ होती है। इस ओर अग्रसर होने वाल व्यक्ति अपने जीवन में सदा ही मंगलमय अनुभवों से सिक्त होता है। जो इस ओर बढ़ रहे हैं, उन सभी का यही अनुभव है कि रचनात्मक चिंतन का अर्थ ऐसी मानसिकता विकसित करना है, जो ईर्ष्या, क्रोध और अन्य ऐसी ही विध्वंस वृत्तियों से प्रभावित नहीं होती है। मुदिता, शुभकामना, समता, शांति और क्षमा के स्पंदनों से पूर्ण मन ही रचनात्मक मन हैं; क्योंकि ऐसी मनःस्थिति में सृजन-संवेदनाएँ अपने चरमोत्कर्ष पर विकसित होती हैं। यही नहीं, शरीर-स्वास्थ्य पर भी इसके शुभ प्रभाव पड़े बिना नहीं रहते हैं।
The direction of creative thinking is always beneficial and auspicious. A person moving in this direction is always moistened with auspicious experiences in his life. It is the experience of all those who are moving towards this that the meaning of creative thinking is to develop a mindset that is not affected by jealousy, anger and other such destructive tendencies. The creative mind is the mind full of vibrations of purity, good luck, equanimity, peace and forgiveness; Because in such a state of mind the creation-senses develop at their climax. Not only this, they also do not live without its auspicious effects on body and health.
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नकारात्मक चिन्तन को छोड़ें महर्षि दयानन्द के उद्गारों को यदि हम रचनात्मक रूप नहीं देते तो हम ऋषि ऋण से उऋण नहीं होंगे। यदि कुरीतियों का समर्थन करते रहे तो ऋषि के ग्रंथों को पढकर भी हम समाज की कायापलट नहीं कर पायेंगे। जिस बस्ती में हम रहते हैं, यदि उसमें हम आँखें बन्द कर लें तो आर्यत्व कितने प्रतिशत रह जायेगा? आर्यजन स्वयं ही इस बात पर...